पहले स्कूल में पिटाई होती थी फिर घर में: सलमान

दबंग खान सलमान का आज बर्थडे है। इस मौके पर उन्होंने अपनी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातें साझा कीं। अपने जन्मदिन के बारे में बताते हैं, 'बर्थडे मेरे लिए आम दिन की तरह होता है। हां, इस दिन मुझे केक जरूर खाने को मिल जाता है। वह भी मैं थोड़ा-सा ही खाता हूं। इस दिन सबसे अच्छी बात यह होती है कि मेरा परिवार मेरे साथ होता है। वैसे मेरे लिए इस प्लैनेट पर हर दिन यादगार होता है।' बचपन में बहुत धुलाई होती थी बकौल सलमान, 'मैं स्कूल डेज में पढ़ने में कोई खास नहीं था। हां पॉप्युलर जरूर था, मगर अपनी शरारतों की वजह से बहुत पिटता था। स्कूल में टीचर की मार खाता था और जब घर पर पता चलता, तो वहां दोबारा पिटाई होती थी। मेरी बॉडी पर मार के निशान हमेशा रहते थे। मैं जिस कॉन्वेंट में पढ़ता था, उस स्कूल के फादर काफी स्ट्रिक्ट थे। दसवीं में जब मेरे 68 पर्सेंट मार्क्स आए, तो वह हैरान रह गए थे। मैं तो खुश था कि चलो उनकी पिटाई से पीछा छूटेगा। मुझे उनसे बहुत चिढ़ होती थी। मुझे पेंटिंग का शौक था, तो मैंने जे जे स्कूल ऑफ आर्ट्स में ऐडमिशन लिया था। हालांकि वहां के झोलाछाप बुद्धिजीवियों को देखकर मैं वहां से भाग आया और मैंने सेंट जेवियर्स कॉलेज में ऐडमिशन ले लिया। पर उस वक्त मेरी खुशी काफूर हो गई, जब मैंने देखा कि मेरे स्कूल के स्ट्रिक्ट फादर कॉलेज में भी हैं। मुझे देखते ही वह बोले,' माय सन मैं तुम्हारा पीछा नहीं छोड़नेवाला।' बहरहाल कॉलेज खत्म हो जाने के बाद जब एक बार मेरा स्पेन जाना हुआ, तो पता चला कि फादर भी स्पेन में हैं। मुझे लगा चलो उनसे मिल लेता हूं। मैंने कई फोन और एसएमएस किए, पर जवाब न मिला। लेकिन जब मैं स्पेन के एयरपोर्ट पर उतरा, तो एक शख्स वहां मेरे इंतजार में खड़ा था। वो मेरे पास आकर बोला,'जब तुम्हारा फोन आ रहा था, तो फादर बीमार थे। अब वे इस दुनिया में नहीं हैं, पर तुम्हारे लिए एक मेसेज छोड़ गए हैं,'माय सन आइ लव यू वेरी मच।' मेरी आंखें तो भीग गईं, जब तक मैं उन्हें अच्छी तरह जान पाता, वह जा चुके थे।' घर के बच्चे जात-पात नहीं, सही गलत मानते हैं मैं खुद को बहुत खुशकिस्मत मानता हूं कि मैं एक ऐसे परिवार में जन्मा, जहां मुझे हर रिश्ता, हर धर्म और हर जज्बात को महसूस करने का मौका मिला। मुझे अगर परिवार का सपोर्ट नहीं मिलता, तो मैं 'सलमान खान' न होता। अपने जन्मदिन के मौके पर मैं यही कहना चाहूंगा कि मेरी कोशिश है कि मैं अपने माता-पिता को जितनी कम तकलीफ दे पाऊं, उतना बेहतर होगा। मैं हमेशा सभी से कहता हूं कि आपको जो करना है, कीजिए। मगर अपने माता-पिता और भारत माता को तकलीफ न दें। हमारी पूरी कोशिश है कि जो संस्कार और वैल्यूज हमें मिले हैं, वही हम उन्हें अपनी अगली पीढ़ी को दे पाएं। हम दे भी रहे हैं। अलीजे, अयान, अरहान, योहान, आहिल, निर्वान जैसे मेरे घर के सभी बच्चों में दया और करुणा खूब है। उन्हें ऊंच-नीच, जात-पांत और धर्म से कुछ लेना-देना नहीं है। वे सही-गलत में यकीन रखते हैं। फैंस की सुरक्षा फिल्म के कलेक्शन से ऊपर है दबंग 3 की रिलीज के दौरान ही देश में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बवाल खड़ा हो चुका है। इसका सीधा असर फिल्म के बिजनस पर भी दिखाई दिया। हालांकि उम्मीद यह भी है कि जल्द ही फिल्म सौ करोड़ का आंकड़ा पार कर लेगी। रिलीज के पांच दिन में भी फिल्म सौ करोड़ नहीं छू पाई है। हाल ही में फिल्म की बिजनस पर एक इंटरव्यू में सलमान ने कहा, 'मेरे लिए फैंस की सुरक्षा फिल्म के बॉक्स-ऑफिस कलेक्शन से ऊपर है।' उन्होंने आगे कहा, इस समय में फिल्म का चलना अद्भुत है। यह श्रेय मेरे फैंस को जाएगा। मेरे फैंस बड़े लॉयल हैं कि वे जाकर मेरी फिल्म देख रहे हैं। उत्तर भारत में कई जगह धारा 144 लगाई गई है, जिसके कारण वहां से कोई कलेक्शन नहीं हुआ। पर वह जाकर मेरी फिल्म जरूर देखेंगे। मेरा मतलब है कि पहले उनकी सुरक्षा आती है बाद में दबंग 3। बाकि राज्यों में फिल्म का प्रदर्शन काफी अच्छा है।' इसी दौरान सलमान ने इस बात का खुलासा भी किया है कि वे अपनी फिल्मों के रिव्यूज नहीं पढ़ते, बल्कि उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट हुए रेस्पॉन्स से फिल्म की सफलता का अंदाजा होता है। वह कहते हैं, 'आपको फैंस का रिव्यू फिल्म के कलेक्शंस से मालूम चलता है। वही मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण है। दबंग 3 के 5 दिन का कलेक्शन तक़रीबन 91 करोड़ के आस-पास है, जो इस मौहौल में वाकई बहुत उम्दा है।' लगता नहीं करियर को 30 साल हो गए सलमान खान अपने लंबे करियर की बात पर कहते हैं, लगता ही नहीं कि मेरे करियर को 30 साल हो गए हैं। लग रहा है कि जैसे ये कल की ही बात तो है। परसों तो मैं काम की तलाश में था, कल ही मुझे फिल्म मिली है और आज मैंने प्यार किया सुबह ही रिलीज हुई है। आज मैं बैठा हूं, पहले दिन के कलेक्शन के लिए। वो मैं नहीं भूल सकता। इतना जरूर कहूंगा कि मेरे करियर में मेरे पिता बेहद इंस्ट्रूमेंटल साबित हुए। एक दिन मैंने अपने पिता से पूछा कि हमारे घर इतने डायरेक्टर्स और प्रड्यूसर्स आते हैं, उनसे आप कहते क्यों नहीं कि मुझे लॉन्च करें। उन्होंने कहा, वह लोग रोज तुमको बिना शर्ट के देखते हैं? क्या उन्होंने मुझसे पूछा कि चलो हम सलमान को लॉन्च करते है। फिर उन्होंने कहा, 'ऐसा कुछ करो, जिससे वह तुम्हें देखें। मैंने उनसे कहा कि मैं ऐक्टिंग क्लास कर लूं, क्योंकि मैं ऐक्टर-डायरेक्टर बनना चाहता था। लेकिन मैं जहां भी गया, मुझे लोगों ने 'टू यंग' कहकर क्लासेज में लिया ही नहीं। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या तुम गली के दादा बन सकते हो? लॉयर बन सकोगे, पुलिस बन पाओगे, जज बन सकते हो, क्या तुम 10 लोगों को आसानी से स्क्रीन पर मार सकते हो? इन सारे सवालों का जवाब मैंने ना में दिया। उनका दूसरा प्रश्न था, 'फिर क्या तुम रोमांटिक हीरो बनोगे? एक या दो फिल्म करोगे, फिर क्या? उसके बाद खत्म। ये सारे सवाल सुनकर मैंने तो अपना सिर पकड़ लिया था। मेरे पिता ने कहा कि ऐसा कुछ करो कि तुम सब कैरेक्टर्स प्ले कर सको। बस उनकी यह बात मेरे दिमाग में बैठ गई। काम मांगने जाता, मिलता नहीं था मैंने अपने करियर की शुरुआत में कम धक्के नहीं खाए। शुरुआत में मैं जब लोगों के पास रोल मांगने के लिए जाता था, तो लोगों के अलग-अलग रिऐक्शन थे। कोई कहता कि मैं हीरो के लिए छोटा हूं, तो कोई कहता कि उम्र से बड़ा हूं। लोग बहुत ही नम्रता से मुझे मना कर देते और कहते कि अभी कुछ नहीं है। कुछ होगा तो बताएंगे। कुछ लोग हौसला बढ़ाते थे। जिन लोगों ने मुझे रिजेक्ट किया, उनके सामने खुद को साबित करने का मेरा जज्बा कुछ ज्यादा ही मजबूत था। मुझे याद है एक बार राकेश रोशन साहब ने मुझे मंसूर खान की पार्टी में देखकर मेरा नाम पूछा था और जब मैंने अपना नाम बताया तो वे बोले, 'अरे तुम सलीम साहब के बेटे हो। तुम तो हीरो बन सकते हो।' आगे चलकर मैंने उनके साथ 'करन अर्जुन' में काम किया। वहीं दूसरी तरफ मुकुल आनंद जैसे डायरेक्टर भी थे, जिन्होंने मुझे आगे चलकर काम दिया। पहले सीनियर्स से कंपीट, अब जूनियर्स से हीरो बनने के मामले में मुझे लेकर काफी मिक्स्ड रिऐक्शन मिलते थे। मैं भी हताश होने लगा था। मुझे याद है कि जब मैं स्क्रिप्ट सुना करता था, तो मेरे जेहन में संजय दत्त, सनी दियोल, जैकी श्रॉफ जैसे लोग आते थे। मैं स्क्रीन पर दिखता ही नहीं था। मुझे भी लगने लगा कि शायद मैं हीरो बनने के लायक नहीं हूं। इनके आगे टिक ही नहीं पाऊंगा। फिर एक-दो साल के स्ट्रगल के बाद मेरे पास 'मैंने प्यार किया' आई। हालांकि मैंने जब वह फिल्म साइन की तो लोगों ने मुझे डराया कि मैं राजश्री की फिल्म क्यों कर रहा हूं। वे मुझे धोतीवाली इमेज में बांध देंगे, मगर वह फिल्म चल गई और मैं भी चल पड़ा। आज भी कुछ आसान नहीं है। आज भी लगे पड़े हैं। पहले सीनियर्स से कंपीट करते थे अब जूनियर्स से कर रहे हैं। फराह बोली मैं बुरा नाचा मुझे लगता है कि कुछ बनने के लिए सही वक्त पर सही जगह और किस्मत एक साथ काम करती है। आपको चुनने के लिए दो ऑप्शन मिलते हैं, लेकिन अगर आपने जीवन में हमेशा ही गलत निर्णय लिया है, तो इसमें भगवान का क्या दोष है? मैं जब छोटा था, पायलट, क्रिकेटर, स्विमर बनना चाहता था। छोटी-मोटी मॉडलिंग कर लिया करता था। एक दिन मुझे राजश्री प्रॉडक्शन से फोन आया। मैं अपने साथ फराह खान (डायरेक्टर -कोरियोग्राफर ) को ले गया। मैं और फराह संघर्ष के साथी रहे हैं। वहां मुझे डांस करने को कहा गया। फराह ने बाद में बताया कि मैं बहुत बुरा नाचा था। इसके बावजूद मुझे 'मैंने प्यार किया' मिली। फिल्म सुपर हिट रही, पर उसके बाद मेरे पास 6-8 महीने तक काम नहीं था। मेरे डैड जी.पी.सिप्पी के पास गए और बोले कि मेरे बेटे सलमान को साइन करने की एक अनाउंसमेंट कर दीजिए, फिल्म भले न बनाएं। उससे मार्केट में उसकी वैल्यू बन जाएगी।


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