फ्लॉप फिल्म के बाद काम नहीं मिलता: कियारा

'कबीर सिंह' की सुपर सक्सेज ने कियारा अडवाणी की किस्मत बदल दी। 'फगली' जैसी असफल फिल्म से शुरुआत करने वाली कियारा को यहां तक पहुंचने में कई रिजेक्शन का सामना करना पड़ा है। इन दिनों वह चर्चा में हैं अपनी नई फिल्म '' से। पेश है उनसे एक बातचीत : आपके करियर की शुरुआत 'फगली' से छोटे स्तर पर हुई, मगर आगे चलकर आप हीरोज के मामले में लकी साबित हुई हैं। वरुण हो, शाहिद हो, दिलजीत हो अथवा अक्षय, कैसा रहा इनका साथ?सच कहूं तो मैं खुद को बहुत खुशनसीब मानती हूं कि मुझे ऐसे मौके मिल रहे हैं, ऐसे लोगों के साथ काम करने का अवसर मिल रहा है। बहुत कुछ सीखने मिल रहा है। जैसे शाहिद से 'कबीर सिंह' में बहुत कुछ सीखने को मिला। अभिनय साझेदारी का काम होता है। आप अकेले नहीं होते सीन में, सह अभिनेता होते हैं, आपका नायक होता है। ऐसे में किसी एक का भी प्रदर्शन ऊपर-नीचे या आगे-पीछे हो जाए, तो पूरे सीन का मजा चला जाता है। सबका एक ही स्तर पर होना बहुत जरूरी हो जाता है। हीरो-हीरोइन दोनों सीन को एक साथ संभालते हैं। शाहिद के साथ तो बहुत मजा आया। 'गुड न्यूज' के सेट पर जब अक्षय और दिलजीत साथ होते थे, तो इतना हंसी- मजाक होता था कि हम हंसते- हंसते आखिर में रो देते थे। बहुत कुछ सीखा अपने साथी कलाकारों से, फिर चाहे कॉमिडी की बात हो या टाइमिंग की, यहां से मैं ये सब आगे ही ले जाऊंगी। गुड न्यूज में करीना जैसी बड़ी अभिनेत्री और स्टार को लेकर आपको कभी कोई असुरक्षा होती थी? मेरे लिए करीना एक प्रेरणा समान है। मुझे अगर फिल्मों में काम करना था, तो कहीं ना कहीं इसलिए कि मैं उनकी फिल्में देखकर बड़ी हुई हूं। अगर आप अपने प्रेरणासूत्र के साथ काम कर रहे हो, तो मेरे लिए तो उनसे सीखने का इससे अच्छा मौका हो ही नहीं सकता। मैं तो हर पल उन्हें देखती रह जाती थी कि वह क्या कर रही हैं? क्या खा रही हैं? वह इतनी स्वाभाविक और इतनी सरल अभिनेत्री हैं कि पूरे सेट पर पार्टी जैसा माहौल कर देती हैं। हम सुबह 9 बजे आते थे और पैकअप तो लंच के बाद ही हो जाता था। ये फिल्म हमने इतनी जल्दी खत्म की कि सबकी ताकत और उत्साह देखने लायक था। करीना के साथ शूटिंग में काम करके बहुत मजा आया। अक्षय के साथ काम करने का अनुभव कैसा था?वह बहुत अनुशासित और केयरिंग है। 'फगली' में उन्होंने ही मुझे लॉन्च किया है। उस वक्त हमने सिर्फ पोस्टर शूट किया था तब मैं उनसे मिली थी। अब तो खैर पूरी फिल्म की है, तो उनके साथ तो मुलाकात ज्यादा हुई और जब किसी से रोज मिलो तो सीखने को भी ज्यादा मिलता है। उनकी एक खासियत यह है कि वह अपने हर काम में सौ प्रतिशत देना चाहते हैं, चाहे प्रमोशन हो, फिल्म हो या उनके गाने। उनसे सब सीखने मिलता है। आज सुबह 6 बजे ही हमने रेडियो शूट किया था और उसके लिए मुझे 5 बजे उठना पड़ा था। मैं जब पहुंची, तो वह पहले से ही काम कर रहे थे। जैसे स्कूल में डिसिप्लिन होता था ना, बिल्कुल वैसे ही। और ऐसा ही होना भी चाहिए। समय पर सोना है, समय पर उठना है, उनकी जीवनशैली ही बहुत अनुशासित है। सुना है, वह प्रैंक्स काफी करते हैं? (हंसते हुए) 'गुड न्यूज' के सेट पर बहुत सारे प्रैंक्स हुए। जैसे कि हमारा बीटीएस विडियो हमने कुछ दिनों पहले अपलोड किया, तो उस में आप हमारे ब्लूपर्स और मेकिंग विडियोज देखेंगे तो अक्षय सर जब उसमें बोलते दिखेंगे कि एक और टेक, तो मतलब वो कोई प्रेंक करने वाले हैं। जैसे एक सीन है, जिसमें मैं वील चेयर पर बैठी हुई हूं और वह मुझे हॉस्पिटल के अंदर ले जा रहे हैं, तो बीच शॉट में उन्होंने मेरा वील चेयर छोड़ दिया और अकेली-अकेली मेरी व्हीलचेयर चली जा रही है। मैं तो जानती थी कि इस टेक में तो वह यही करने वाले हैं। एक सीन था वह और करीना सो रहे हैं और कुछ आवाजें आ रही हैं और दोनों उठ जाते हैं और अक्षय सर अपने फाइटमास्टर की जो गन है, वह उठाकर अचानक प्वाइंट करने लगते हैं और हंसने लगते हैं। ऐसी कई शरारतें वह करते रहते थे। उन्हें लोगों का मनोरंजन करना बहुत पसंद है फिर चाहे सेट पर हो या फिल्मों के जरिए। आज सिनेमा में आपकी पहचान बन चुकी है, मगर क्या कभी रिजेक्शन का सामना करना पड़ा है? 'फगली' के बाद कई बार मैं रिजेक्ट की गई थी। मेरा मानना है कि हर इंसान को चीजों के प्रति एक सही नजरिया रखना चाहिए। अगर आपको कोई किसी फिल्म के लिए रिजेक्ट कर रहा है, तो इसका यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि आपका करियर खत्म हो गया है। रिजेक्शन के प्रति सकारात्मक रवैया रखते हुए आगे बढ़ जाना चाहिए। इसे बहुत निजी तौर पर नहीं लेना चाहिए। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि आपकी जिंदगी खत्म हो गई है। यह एक सफर है, जिसमें अच्छे दिन होंगे, तो बुरे दिन भी होंगे। मेरे साथ जो रिजेक्शन हो रहा था, वह बस एक दौर था, जब मुझे फिल्में नहीं मिल रही थीं और रोल्स किसी और को मिलते जा रहे थे। जिस तरह के रोल्स मैं करना चाहती थी, उस तरह के भी मिल नहीं रहे थे। निर्माताओं से मिलती थी, तो भी चूंकि पिछली फिल्म 'फगली' अच्छी नहीं थी, तो कास्ट नहीं हो रही थी। लोग कई बार बॉक्स ऑफिस की सफलता देखते हैं। फ्लॉप फिल्म के बाद काम नहीं मिलता। मैं फिर भी ऑडिशंस देती रही। इसी दौरान जब धोनी की बायॉपिक मिली और चीजें बदल गईं और आज मैं यहां हूं।


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