फिल्म के लिए मैंने गालियां देना सीखा: श्रद्धा कपूर

इन दिनों अपनी आगामी फिल्म '' को लेकर चर्चा में हैं। श्रद्धा की पिछली फिल्म 'स्ट्रीट डांसर' और 'छिछोरे' ने बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन किया था। इस मुलाकात में श्रद्धा हमने अपनी फिल्म, सायना बायॉपिक और सोशल मीडिया जैसे मुद्दों पर दिल खोलकर बातचीत करती हैं। बागी एक सक्सेसफुल फ्रेंचाइजी रही है। तीसरे पार्ट को लेकर प्रेशर है?हां, बिलकुल प्रेशर है। क्योंकि लोगों की उम्मीदें काफी बढ़ जाती हैं। ट्रेलर को अच्छा रिस्पॉन्स मिला है, उम्मीद है कि फिल्म भी लोगों को पसंद आए। हमारी यह भी कोशिश है कि लोग इसे देखने के बाद इंडस्ट्री के ऐक्शन लेवल पर पसंद करें। हमने तो पूरा लाइव ऐक्शन किया है। लाइव ऐक्शन के दौरान सेट पर कितनी डरी हुई थीं?डरने के बजाय, मैं तो बहुत ही उत्साहित थी। ऐसा लाइव ऐक्शन कभी देखा नहीं, उपर से टाइगर को लाइव ऐक्शन करते हुए देखना मेरे लिए किसी ट्रीट से कम नहीं था। इतने बेहतरीन प्रफेशनल और ऐक्शन टीम थी कि डरने की कोई बात ही नहीं थी। टाइगर के साथ स्क्रीन पर आपकी बॉन्डिंग बहुत अच्छी लगती है। रियल लाइफ में कैसी दोस्ती है?टाइगर के बारे में कहूं, तो वह इस दुनिया के सबसे अच्छे इंसानों की कैटिगरी में आते हैं। अपने काम को लेकर बहुत डेडिकेटेड और डिसीप्लीन हैं। यह सेट पर भी सबको दिखता है। मैं टाइगर को बचपन से जानती हूं, हमारी यह बॉन्डिंग स्क्रीन पर बहुत मददगार साबित होती है। उनके साथ काम करना बहुत आसान है आपको बहुत कंफर्टेबल महसूस करवाते हैं। पिछली फिल्म में आपने डांस की ट्रेनिंग ली अब इस ऐक्शन फिल्म के लिए क्या खास तैयारी की थी?जाहिर सी बात है, जब हम एक फिल्म से दूसरे फिल्म में जाते हैं, तो अपने किरदार को लेकर हमें खास तैयारी तो करनी ही पड़ती है। इस फिल्म की बात कहूं, तो मैंने तुरंत 'छिछोरे' के बाद इसकी शूटिंग शुरू कर दी थी। 'छिछोरे' का ओल्डर पार्ट था, उसने मुझे इमोशनली थका दिया था। उससे इसमें शिफ्ट करना मेरे लिए राहत की तरह था। इसमें मेरा सिया का किरदार बहुत ही मजेदार है। सिया बहुत पटाखा लड़की है और बहुत बिंदास है। वह बहुत गालियां देती है वो भी पूरे फ्लो में। हां, इतना कह सकती हूं कि मैंने इस फिल्म से गालियां सीखी है (हंसते हुए)। हालांकि इसके रिदम में आने में कुछ दिन लगे। एक ऐक्टर के तौर पर पिछली फिल्म को लेकर मेरे अंदर का भार खत्म हुआ। इंडस्ट्री में आपको 10 साल हो चुके हैं। फिल्म रिलीज के दौरान अब भी डर लगता है?मुझे तो हर फिल्म के साथ नर्वेसनेस होती रहती है। मैं एक्साइटेड भी होती हूं। सच कहूं, तो जब मेरी पहली दो फिल्में नहीं चली थी, तब से ही मेरे अंदर एक डिटैचमेंट वाली फीलिंग आ गई है। मैं फिल्मों से जल्द ही डिटैच्ड हो जाती हूं। बजाय उसके बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मैं अपनी जर्नी पर फोकस ज्यादा करना पसंद करती हूं। हमें रिजल्ट से अटैचमेंट रखना भी चाहिए बल्कि आप उस फिल्म की जर्नी को जीना चाहिए। आपके लिए बॉक्स ऑफिस कलेक्शन या क्रिटिक्स रिव्यू क्या ज्यादा मायने रखता है?मेरे लिए सबसे अहमियत जो रखती है, वो है फिल्म का ऑडियंस के ऊपर प्रभाव। मेरी किस फिल्म ने लोगों पर क्या प्रभाव छोड़ा है वो मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण है। सायना नेहवाल की बायॉपिक बीच में छोड़ने की क्या वजह रही?वजह यह थी कि रेमो सर ने मुझे स्ट्रीट डांसर ऑफर की और उनके डेट्स क्लैश हो रहे थे। मेरे पास किसी एक फिल्म को ही चुनने का ऑप्शन था और मैंने सायना के बजाय स्ट्रीट डांसर को चुना। मैं रेमो सर को न नहीं कर सकती क्योंकि उन्होंने मुझे एबीसीडी 2 दी थी और यह फिल्म मेरे लिए ज्यादा महत्वपूर्ण थी। आपकी पिछली फिल्मों में ऐसा कोई किरदार, जो आज भी आपके दिल के करीब है?आशिकी 2 मेरे लिए हमेशा स्पेशल फिल्म रहेगी। आरोही का जो किरदार था, वो मेरे दिल के बहुत करीब है और जिंदगीभर रहेगा। जब फिल्में नहीं चलती है तो उस वक्त उस जोन से खुद को कैसे निकालती हैं?हर ऐक्टर की ख्वाहिश होती है कि आपकी फिल्म लोगों को पसंद आए और अच्छा कमाए। हालांकि इस पर आपका कोई कंट्रोल नहीं होता है। बुरा बहुत लगता है जब फिल्म नहीं चलती है। लेकिन खुद के अंदर एक सेंस ऑफ रिलीफ होता है कि चलो मैंने तो अपना सत प्रतिशत दिया था। आपका मूव ऑन करना बहुत जरूरी होता क्योंकि तब ही आप अपने आगे वाले प्रॉजेक्ट्स पर फोकस कर पाओगे। इस दौरान पैरंट्स और आसपास के लोगों का सपॉर्ट भी बहुत जरूरी होता है। वो अगर इस समय आपकी ढाल बनकर खड़े होते हैं, तो आप कहीं न कहीं इन चीजों से ऊबर ही जाते हो। जैसा मैंने कहा कि मैं अपने एफर्ट के साथ समझौता नहीं करती और फिर खुद को डिटैच्ड कर लेती हूं। सोशल मीडिया पर स्टार्स अक्सर ट्रोल किए जाते हैं। कुछ लिखें तो दिक्कत, न कहें तो दिक्कत। आपकी राय?यह तो होगा ही, ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आप ऑलरेडी लाइमलाइट में हैं। अगर लोग आपकी तारीफ करेंगे, तो आपको क्रिटिसिज्म के लिए भी तैयार होना होगा। यह तो हमारे फील्ड का हिस्सा है। मुझे जब कुछ कहने का मन करता है, तो मैं कह देती हूं और जब मन नहीं करता है, तो नहीं लिखती हूं। मैं किसी के दबाव में आकर पोस्ट या ट्वीट नहीं करती। हालांकि मैं बहुत लकी रही हूं कि अब तक ज्यादा ट्रोल नहीं हुई हूं। पिछले कुछ सालों में इंडस्ट्री ने अपने कहानी के तरीकेकारों में बदलाव लाया है। आपकी राय?हां, मुझे भी गर्व होता है कि मैं इस दौर में हूं। मैंने अपने करियर में स्त्री, हसीना जैसी फिल्में की हैं। यह बदलाव बहुत ही सराहनीय है कि महिला के कंधे पर फिल्में होती हैं। मैं खुद आगे चलकर समाजिक मुद्दों पर फिल्में करूंगी, अगर मुझे ऑफर किये जाए। ऐसा कोई मुद्दा, जिसे खासतौर पर आप सिल्वर स्क्रीन पर उतारना चाहेंगी?बहुत से मुद्दे हैं, महिला सशक्तिकरण, महिलाओं के अधिकार, एन्वायरमेंट इश्यूज जैसे मुद्दों पर अगर कुछ इंट्रेस्टिंग चीजें बनती हैं, तो मैं जरूर ऐसी फिल्म का हिस्सा बनना चाहूंगी। इंडस्ट्री में फीमेल ऐक्ट्रेसेज को लेकर एक क्राइटेरिया बनाया गया है कि उन्हें गोरी, लंबी, पतली ही होनी चाहिए। इस स्टीरियोटाइप पर आपकी राय?मुझे नहीं लगता है कि अब ऐसा रहा है। अगर आप देखें, तो आज जितनी भी ऐक्ट्रेसेज हैं, वे एक दूसरे से काफी अलग हैं और कॉन्फिडेंट हैं। स्ट्रीट डांसर के बाद मेरा वजन बढ़ा है, और मैं बहुत ही फुडी हूं। मैं अब खुद पर कोई प्रेशर नहीं डालती कि मुझे पतला ही रहना है। यह डर अब ऐक्ट्रेसेज के अंदर से गया है।


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