कोई क्या बोलता है फर्क नहीं पड़ता: अंकिता

छोटे पर्दे की बड़ी अभिनेत्री पिछले कई सालों से बॉलिवुड में पैर जमाने की कोशिश में जी-जान से जुटी हैं। पहली बार वह कंगना रनौत की फिल्म 'मणिकर्णिका' में झलकारी बाई के किरदार में नजर आई थीं। अब वह टाइगर श्रॉफ, और की फिल्म '' में अहम किरदार में दिखाई देंगी। फिल्म के प्रमोशनल इंटरव्यू के दौरान हमसे हुई बातचीत में अंकिता ने कई मामलों में खुलकर बात की। लोग आज भी 'पवित्र रिश्ता' की अर्चना देशमुख के नाम से जानते हैं, अपनी इस पहचान को किस तरह देखती हैं? मुझे लोग अंकिता लोखंडे के नाम से जानें या पवित्र रिश्ता की अर्चना के नाम से, कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। मुझे अर्चना का किरदार निभाते समय और उसके बाद भी लोगों का बहुत प्यार मिला है, इसलिए कोई फर्क नहीं पड़ता, अगर मुझे अर्चना कहा जाए। अगर लोगों को लगता है कि मैं ऐक्टर हूं तो मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है, बदले में लोग प्यार दे रहे हैं। अगर लोग फिल्म बागी 3 देखने अर्चना के लिए आते हैं तो यह भी मेरे लिए बड़ी बात है। अपनी जर्नी को किस तरह देखती हैं? अपनी जर्नी को देखती हूं तो बहुत प्राउड करती हूं। मैं इंदौर से आई हूं, यहां मैंने जो नाम और लोगों का प्यार कमाया है, वह देखकर खुश होती हूं। टीवी से फिल्म में आना बड़ी बात थी, आसान नहीं होता छोटे पर्दे से बड़े पर्दे का सफर। कोई भी ऐक्टर अपने दम पर नहीं बनता है, मुझे लगता है, उन्हें लोगों का प्यार बनाता है। एक फालतू सा ऐक्टर भी होगा, लेकिन उसे दर्शकों का प्यार मिल जाए तो वह चल जाता है। मुझे तो बहुत प्यार मिला है। जब आप टीवी से फिल्म यानी बॉलिवुड में कदम रख रही थीं, करियर को लेकर डर लग रहा था? जब टीवी से फिल्म में आ रही थी तब बहुत डर लगा था। मेरे लिए तो आज भी सब कुछ नया है। नई चीज करते समय नर्वस होना चाहिए। जब मेरा सीन शूट होता था, तब कोई भी फीलिंग नहीं, नर्वस-नेस नहीं, उस समय मैं जानती थी, मुझे क्या करना है, यही तो टीवी से सीखकर आई हूं। आप कमाल का डांस करती हैं, बागी 3 में डांस करने का मौका मिला? इस फिल्म में एक शादी सॉन्ग है, ज्यादा कुछ डांस के लिए चांस नहीं था, तो जब यह शादी सॉन्ग आया तो मैंने निर्देशक से कहा कि प्लीज मुझे थोड़ा सा डांस करने दो मेरे पैर डांस करने के लिए मचल रहे हैं। भारी-भरकम लहंगे में कुछ स्टेप्स करने की कोशिश की है। रितेश, टाइगर और श्रद्धा के साथ काम करके बहुत मजा आया। श्रद्धा को तो मैं पहले से जानती थी, सब फैमिली की तरह थे। अब रितेश मराठी बोलते हैं, श्रद्धा भी हॉफ मराठी हैं और टाइगर भी मराठी अच्छी तरह समझते हैं। अधिकतर बातें हमने मराठी में की, इसलिए अच्छी बॉन्डिंग बन गई। अब मैं तो टीवी से आई हूं, लेकिन जिस तरह पूरी टीम ने मेरा वेलकम किया वह बहुत अच्छा था। आज कल बॉलिवुड की ऐक्ट्रेस यंग ऐज में बूढ़ी महिला का रोल भी निभा रही हैं, क्या आप तैयार हैं? मुझे कभी भी इन चीजों से कोई प्रॉब्लम नहीं है। अगर आपने मेरा टीवी सीरियल पवित्र रिश्ता को देखा है तो मैं उसमें बूढ़ी महिला का किरदार निभा चुकी हूं। अगर आप ऐक्टर होकर यह सब नहीं कर सकते तो ऐक्टर किस बात के हैं। मैं हिरोइन तो दिखाई ही देती हूं, मुझे तो ऐक्टर बनना है। क्या आप मराठी फिल्मों में काम करेंगी? अब मेरा मकसद है कि बॉलिवुड में पैर जमा लूं, इसके बाद मराठी फिल्म में भी काम करूंगी। अगर सभी जगह हाथ-पैर मारूंगी तो कुछ नहीं कर पाऊंगी। फिल्म में अब तक आप लीड रोल में नहीं नजर आई हैं, कोई खास वजह? अब फिल्म बागी 3 के बाद मेरी जो अगली फिल्म आएगी, वह लीड रोल में होगी। मैं अच्छे रोल की तलाश में रहती हूं। मेरा मानना है कि अगर फिल्म की हिरोइन बनकर भी बस इधर-उधर ही रहना है, इससे बेहतर है कुछ मजबूत काम किया जाए, कम से कम अच्छे से परफॉर्म तो कर पाऊंगी। मुझे टीवी ने परफॉर्म करना सीखा दिया है। टीवी से फिल्म के सेट पर काम करना कितना अलग है, किस तरह का अंतर है? जब आप किसी फिल्म में काम करते हैं तो एक किरदार को सेट करने का पूरा टाइम मिलता है, टीवी में ऐसा नहीं है, इसलिए मैं बहुत सीख कर आई हूं। फिल्म में टाइम मिलता है, जब आप अपना कैरक्टर बनाकर दिखा सकते हो। टीवी में रोज अपना कैरक्टर बनाती थी। मैंने अर्चना को धीरे-धीरे बनाया है। टीवी में आपको पता नहीं होता आप क्या बना रहे हो। आपको स्क्रिप्ट दे दी जाती है। टीवी में हर हफ्ते तो मेरे डायरेक्टर चेंज होते थे, मुझे लगता है कोई भी सीरियल ऐक्टर्स बनाते हैं, जो सेट पर लगातार काम कर रहे होते हैं, क्योंकि डायरेक्टर तो हर हफ्ते बदल रहा होता था, लेकिन ऐक्टर को अपना क्राफ्ट पता होता है, जिसे वह कैरी करता है। टीवी में फिल्म के सेट पर और क्या फर्क है? टीवी में आपको एक दिन में पूरा एपिसोड शूट करना होता है, कई बार और भी ज्यादा। फटाफट शूटिंग होती है, सेट लगता है। फिल्मों में एक शॉट की शूटिंग के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। फिल्मों में कई बार तो सिर्फ एक दिन में एक सीन ही करना होता है। बहुत आराम से काम होता है। मैं तो वैनिटी में बैठकर सोचती थी, कब सीन शूट होगा, मुझसे वैनिटी में खाली बैठ पाना नहीं होता। टीवी पर फिर कब दिखाई देंगी? मुझे अब टीवी नहीं करना है, रोज 9 से 6 की शिफ्ट, वही किरदार और वही सेट। अर्चना का किरदार 6 साल निभाया है। अब बहुत हो गया, अब कुछ नया करना है। अब मुझे अलग-अलग किरदार और शो करने हैं। मुझे कोई भी रिऐलिटी शो भी नहीं करना है, मैं नहीं कर पाऊंगी, रिऐलिटी शो मेरे लिए नहीं है। आपकी निजी जिंदगी पर खूब सुर्खियां बनीं, सोशल मीडिया पर भी बाते हुईं, इन बातों से कितना प्रभावित होती हैं? मेरे बारे में कुछ भी लिखा जाए, चाहे अफवाह हो या कुछ भी या कुछ सोशल मीडिया में ही क्यों न हो, मुझे कुछ फर्क नहीं पड़ता, कुछ असर ही नहीं पड़ता मुझे। अब जो लिखने वाले हैं, वह लिख रहे हैं मेरे बारे में, उन्हें लिखने दीजिए, यह उनका काम है। अब मैं घर-घर जाकर तो नहीं रोकूंगी न। अब मैं हर किसी को जो बुरा लिख रहे हैं, उन्हें अपनी अच्छाई का प्रूफ तो नहीं दे सकती हूं, यह तो नहीं कह सकती कि मैं अच्छी हूं मेरे बारे में अच्छा लिखो। जो जैसा है, वह वैसा सामने कभी न कभी आ जाएगा। शुरू में मुझे बहुत बुरा लगता था, जब पेपर में कुछ ऐसा-वैसा आ जाता था। मैं इंदौर से हूं, ऐसे में अपने माता-पिता को फेस करना पड़ता था। अब मेरे माता-पिता भी समझ गए हैं, कुछ भी कर लो, लिखने वाले तो लिखेंगे ही। कभी-कभी ऐसा नहीं लगता कि बॉलिवुड से ही करियर की शुरुआत की होती तो आज कहीं और होती? मुझे कोई मलाल नहीं है कि मैंने 6 साल टीवी पर काम किया उसके बाद फिल्मों में आई हूं। हो सकता है मैं आज बॉलिवुड में बड़ी ऐक्ट्रेस बन जाऊं। मैं टीवी से जो लेकर आई हूं, जो सीखकर आई हूं, वह बहुत बड़ी बातें हैं। टीवी ने जो मुझे सिखाया है, वह फिल्म में सीखने का मौका नहीं मिलता है। टीवी में बहुत ज्यादा मेहनत है। आप दिन-रात काम कर रहे होते हैं, सोने का टाइम नहीं मिलता था। कहीं सेट पर कोई शांत जगह मिलती तो वहीं सो जाती थी। एकता कपूर भी फिल्म बनाती हैं, उनकी फिल्मों में काम का कोई ऑफर? आप एकता मैम को बोलिए मुझे अपनी फिल्मों में लें, अगर एकता मैम ने मुझे कभी भी बोलै तो मैं जरूर उनके साथ काम करूंगी। इन दिनों छोटे पर्दे के अलावा डिजिटल मीडिया में भी खूब मौके हैं, क्या वेब सीरीज में काम करेंगी? अभी मैं सिर्फ फिल्मों में काम करना चाहती हूं। अगर यह मेरे लिए काम नहीं करेगा तो दूसरे ऑप्शन तो खुले ही हैं। मराठी मुलगी होने का फायदा मुंबई में किस तरह मिला? मराठी मुलगी ( लड़की ) होने का फायदा मुझे मुंबई पुलिस से खूब मिला है। मेरे कोई भी दोस्त को जब पुलिस पकड़ती थी तब वह मुझे फोन लगाकर कहते थे मराठी में बात कर ले और पुलिस वाले मेरी आवाज सुनकर उन्हें छोड़ देते थे।


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