रिव्यू: कैसी है विल स्मिथ की 'बैड बॉयज फॉर लाइफ'

'बैड बॉयज' के रूप में ढाई दशक पहले स्क्रीन पर धमाका करने वाले जाबांज पुलिसवालों माइक लॉउरी (विल स्मिथ) और मार्कस ब्रुनेट (मार्टिन लॉरेंस) की जोड़ी साल 2003 में आयी 'बैड बॉयज 2' के 17 साल बाद एक बार फिर '' में लौट आई है। उम्र बढ़ने के साथ ये बैड बॉयज दुश्मन के छक्के छुड़ाने में अब पहले जैसे धारदार भले न रहे हों, लेकिन उनकी दोस्ती और गहरी और शानदार हो गई है, जो इस फिल्म की जान है। कहानी: फिल्म का आगाज बैड बॉयज के चिरपरिचित अंदाज में होता है, जहां माइक और मार्कस मियामी की सड़कों पर चमचमाती पोर्श को भगाए जा रहे हैं। ऐसा लगता है कि वे किसी मिशन पर है, लेकिन कार रुकने पर वे एक हॉस्पिटल में होते हैं, जहां मार्कस नाना बन चुका होता है। मार्कस अब रिटायरमेंट लेकर परिवार के साथ जिंदगी बिताना चाहता है, जबकि माइक चाहता है कि वे दोनों हमेशा बैड बॉयज बने रहें। इधर, खतरनाक कैदी इजाबेल अरेटस (केट डी कस्टीलो) अपने बेटे अरमांडो (जेकब स्किपियो) की मदद से जेल से फरार हो जाती है और अपने ड्रग माफिया पति की मौत के जिम्मेदार सभी लोगों को मारने का फरमान सुनाती है, जिसमें माइक भी शामिल है। अरमांडो माइक पर हमला कर देता है। हमले में जख्मी माइक 6 महीने अस्पताल में रहता है, वहीं अरमांडो एक-एक कर अपने दुश्मनों को खत्म करता जाता है। कैप्टन कोनार्ड हॉवर्ड (जो पैंटोलियानो) केस की कमान रीटा (पाउला नुनेज) और उनकी स्पेशल टीम एम्मो को सौंपते हैं। जबकि, ठीक होने के बाद माइक खुद अपराधी को पकड़ना चाहता है, लेकिन रिटायर्ड मार्कस उसका साथ देने के लिए तैयार नहीं होता। एक मौका ऐसा ही आता है, जब माइक निराश हो जाता है, लेकिन तभी कैप्टन का भी मर्डर हो जाता है, जिसके बाद मार्कस एक आखिरी बार वापस बैड बॉयज अवतार में माइक का साथ देने को तैयार हो जाता है और फिर शुरू होता है रोमांचक खुलासों और जबरदस्त ऐक्शन का सिलसिला। रिव्यू: आदिल अल अरबी और बिलाल फलाह निर्देशित यह फिल्म शुरू में थोड़ी स्लो है, लेकिन बाद में गति पकड़ लेती है। एक बारगी सामान्य सी लगने वाली कहानी का क्लाइमैक्स भी काफी रोचक निकलता है। यही नहीं, निर्देशक ने सूझबूझ के साथ इसकी अगली कड़ी की गुंजाइश भी छोड़ दी है। फिल्म के वन लाइनर्स चुटीले हैं, जो आपको हंसाते हैं। माइक और एम्मो की टीम की नोकझोंक भी अच्छी लगती है। ऐक्शन की बात करें, तो आखिरी ऐक्शन सीक्वेंस ही आकर्षक है, बाकी खून-खराबा ज्यादा है। विल स्मिथ और मार्टिन लॉरेंस की केमिस्ट्री फिल्म का प्लस पॉइंट है। निर्देशक ने इस बात का ध्यान रखा है कि ये ऐक्टर्स अब पहले की तरह नौजवान नहीं रहे, तो इस बात को लेकर कई पंच हैं, जो सटीक और अच्छे लगते हैं। दोनों की ऐक्टिंग भी बढ़िया है। वहीं, जो पैंटोलियानो, पाउला नुनेज, जेकब स्किपियो और केट डी कस्टीलो ने भी अपनी किरदार के साथ पूरा न्याय किया है। क्यों देखें: विल स्मिथ और मार्टिन लॉरेंस की जबरदस्त केमिस्ट्री और जोरदार ऐक्शन के लिए देख सकते हैं।


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