Ramanand Sagar Birthday: मुफलिसी में रहे 'रामायण' बनाने वाले रामानंद सागर, कभी साबुन बेचा तो कभी चपरासी का काम किया
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'Ramayan' fame Ramanand Sagar's 103rd birth anniversary and his struggle story: आज यानी 29 दिसंबर को रामानंद सागर की बर्थ ऐनिवर्सरी है। वही रामानंद सागर, जिन्होंने 80 के दशक में 'रामायण' को ऐसा जीवंत रूप दिया, जो अब तक सभी के दिलों में बसा हुआ है।
![Ramanand Sagar Birthday: मुफलिसी में रहे 'रामायण' बनाने वाले रामानंद सागर, कभी साबुन बेचा तो कभी चपरासी का काम किया Ramanand Sagar Birthday: मुफलिसी में रहे 'रामायण' बनाने वाले रामानंद सागर, कभी साबुन बेचा तो कभी चपरासी का काम किया](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-80004125,width-255,resizemode-4/80004125.jpg)
लॉकडाउन के दौरान भी रामानंद सागर की रामायण ने लोगों के लिए 'संजीवनी बूटी' का काम किया।लेकिन जिस शख्स ने 'रामायण' के जरिए अनूठा इतिहास रचा और सभी की जिंदगी में रस घोला, उसकी खुद की जिंदगी बड़ी ही बेनूर और तकलीफों से भरी हुई थी।
चंद्रमौली चोपड़ा था असली नाम
![चंद्रमौली चोपड़ा था असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था असली नाम](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-80004145,width-255,resizemode-4/80004145.jpg)
रामानंद सागर का जन्म लाहौर के पास असल गुरू में हुआ था। कई दशक पहले उनके परदादा लाहौर से कश्मीर आकर बस गए। रामानंद सागर का असली नाम चंद्रमौली चोपड़ा था, लेकिन जब उनकी नानी ने उन्हें गोद लिया तो नाम बदलकर रामानंद सागर कर दिया।
लाहौर के धनी और रसूख वाले परिवारों में होती थी गिनती
![लाहौर के धनी और रसूख वाले परिवारों में होती थी गिनती लाहौर के धनी और रसूख वाले परिवारों में होती थी गिनती](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-80004144,width-255,resizemode-4/80004144.jpg)
रामानंद सागर के परिवार की गिनती लाहौर के धनी परिवारों में होती थी। वो बहुत ही रसूख और शानो-शौकत वाले लोग थे। लेकिन जब विभाजन हुआ तो रामानंद सागर के परिवार को अपना जमा-जमाया बिजनस और सारी प्रॉपर्टी छोड़कर कश्मीर आना पड़ा। यहीं से मुफलिसी और मुश्किल भरे दिनों की शुरुआत हुई। इन्हीं परेशानियों के बीच रामानंद सागर की मां का निधन हो गया और उनके पिता ने दूसरी शादी कर ली।
साबुन बेचने से लेकर सुनार और चपरासी तक का काम किया
![साबुन बेचने से लेकर सुनार और चपरासी तक का काम किया साबुन बेचने से लेकर सुनार और चपरासी तक का काम किया](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-80004142,width-255,resizemode-4/80004142.jpg)
चूंकि पैसे नहीं थे, इसलिए घर के खर्च के साथ-साथ रामानंद सागर की पढ़ाई में भी मुश्किलें आने लगीं। इसलिए उन्होंने एक चपरासी के तौर पर काम करना शुरू किया। इससे थोड़े बहुत पैसे मिल जाते। चपरासी के अलावा रामानंद सागर ने ट्रक क्लीनर से लेकर साबुन बेचने और सुनार का काम भी किया। दिन में वह ये सब काम करते है और रात में पढ़ाई करते।
मुंबई मायानगरी में एंट्री, क्लैपर बॉय बने
![मुंबई मायानगरी में एंट्री, क्लैपर बॉय बने मुंबई मायानगरी में एंट्री, क्लैपर बॉय बने](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-80004139,width-255,resizemode-4/80004139.jpg)
संघर्ष करते हुए रामानंद सागर ने हार नहीं मानी और वह वक्त भी आया जब उनकी एंट्री मुंबई मायानगरी में हो गई। उन्होंने फिर 'रेडर्स ऑफ द रेल रोड' नाम की मूक फिल्म में एक क्लैपर बॉय के तौर पर करियर की शुरुआत की।
बॉलिवुड से लेकर टीवी में मचाया तहलका
![बॉलिवुड से लेकर टीवी में मचाया तहलका बॉलिवुड से लेकर टीवी में मचाया तहलका](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-80004138,width-255,resizemode-4/80004138.jpg)
इसके बाद रामानंद सागर ने पृथ्वीराज कपूर के पृथ्वी थिअटर में असिस्टेंट स्टेज मैनेजर के तौर पर काम किया। राज कपूर की फिल्म 'बरसात' की कहानी और स्क्रीप्ले लिखा। उन्होंने कई हिट फिल्में दीं और टीवी इंडस्ट्री से लेकर फिल्म इंडस्ट्री में तहलका मचा दिया।
आज भी लोगों पर छाया 'रामायण' का जादू
![आज भी लोगों पर छाया 'रामायण' का जादू आज भी लोगों पर छाया 'रामायण' का जादू](https://navbharattimes.indiatimes.com/photo/msid-80004136,width-255,resizemode-4/80004136.jpg)
रामानंद सागर की 'रामायण' को आए करीब 33 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी उसका जादू लोगों के सिर चढ़कर बोलता है। उनकी रामायण में अरुण गोविल और दीपिका चिखलिया ने राम-सीता का किरदार निभाया था, जिन्हें लोग बाद में सचमुच राम-सीता समझने लगे थे। (Photo: Wikipedia)
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