हाथ में अर्थी, आंखों में आंसू, Mandira Bedi ने दुख के सैलाब के बीच समाज को दे दी नई सोच

मंदिरा बेदी () ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि जिस इंसान के साथ उन्होंने सात जन्मों तक साथ रहने की कसमें खाईं, जिसके साथ उन्होंने जिंदगी के हसीन सपने देखे, वही इंसान उन्हें यूं बीच राह में रोते-बिलखते छोड़कर चला जाएगा। बुधवार को मंदिरा बेदी के फिल्ममेकर पति राज कौशल ( due to heart attack) का हार्ट अटैक से निधन हो गया। मंदिरा बेदी पर तो मानों दुखों को पहाड़ टूट पड़ा और उन्हें संभालना तक मुश्किल हो गया। लेकिन इस मुश्किल वक्त में मंदिरा बेदी ने जो हिम्मत दिखाई और जिस तरह अंतिम संस्कार में महिलाओं और पुरुषों को लेकर रूढ़िवादी सोच (Mandira Bedi broke gender stereotypes) को तोड़ती नजर आईं, उसने सभी को हैरत में डाल दिया। हाथ में अर्थी और आंखों में आंसू सोशल मीडिया पर मंदिरा बेदी की कई तस्वीरें आईं, जिनमें से इन दो तस्वीरों ने सबको झकझोर कर रख दिया। पहली तस्वीर तब की है, जब मंदिरा बेदी के पति का निधन हुआ और उन्हें संभालने के लिए अन्य लोगों की जरूरत पड़ रही थी। वह बुरी तरह टूट गई थीं। वहीं दूसरी तस्वीर तब की है, जब वह पति की अर्थी ले जाती दिखीं (Mandira Bedi carries husband's bier) और अंतिम संस्कार की विधि निभाती नजर आईं। इस तस्वीर के जरिए वह समाज में फैली महिलाओं और पुरुषों को लेकर रूढ़िवादी सोच को तोड़ती नजर आईं। पढ़ें: खुद को संभाला, की अंतिम संस्कार की विधि आमतौर पर माना जाता है कि एक महिला अंतिम संस्कार नहीं कर सकती है। यह सोच सदियों से चली आ रही है। भारतीय संस्कृति में किसी की मौत हो जाए तो उसे पुरुष (भाई, पिता, भतीजा, बेटा या पति) ही मुखाग्नि देते हैं। पुरुष ही अंतिम संस्कार ही हर क्रिया करते हैं। लेकिन मंदिरा बेदी ने इस सोच और परंपरा को तोड़ा। पति के जाने के गम से मंदिरा बेदी टूट गई थीं। ऐसे मौके पर तो उन्हें खुद को संभालने के लिए ही अन्य लोगों के सहारे की जरूरत थी। पर मंदिरा बेदी ने दुख के इस सैलाब में हिम्मत से काम लिया। उन्होंने खुद को संभाला और खुद ही पति की अंतिम क्रिया करती नजर आईं। पढ़ें: दिल चीर गई तस्वीर, हर कोई बोला- भगवान हिम्मत दे पति के अंतिम संस्कार की विधि में हिस्सा लेतीं मंदिरा बेदी की जब ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर फैलीं तो लोगों के दिलों को चीर गईं। हर कोई भावुक हो गया और मंदिरा बेदी की हिम्म्त की तारीफ की। किसी ने मंदिरा बेदी के लिए भगवान से इस दुख को सहने की हिम्मत मांगी तो किसी ने अंतिम संस्कार को लेकर चली आ रही रूढ़िवादी सोच और परंपरा को तोड़ने के लिए मंदिरा बेदी का तारीफ की। जब 'शांति' बन मंदिरा लेकर आईं क्रांति मंदिरा बेदी हमेशा से ही टफ रही हैं। रियल लाइफ में भी उन्होंने खुद को बेहद स्ट्रॉन्ग तरीके से प्रेजेंट किया। फैन्स मंदिरा बेदी को हमेशा से ही एक सशक्त और मजबूत महिला के रूप में जानते हैं। उस वक्त से तो लोग मंदिरा के मुरीद हो गए थे जब उन्होंने भारतीय नारी को एक क्रांतिकारी लड़की और महिला के रूप में तब्दील कर दिया था। टीवी शो 'शांति' (Shanti) के जरिए मंदिरा बेदी ने एक क्रांति ला दी थी। पहनावे से एकदम साधारण दिखने वाली 'शांति' यानी मंदिरा बेदी, इरादों से एकदम चट्टान थी, जिसे हिला पाना नामुमकिन था। लेकिन मंदिरा बेदी ने वक्त के साथ खुद को मॉडर्न बनाया और क्रिकेट जैसे क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई। क्रिकेट को अकसर पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्र में गिना जाता है, लेकिन यहां भी मंदिरा ने अपनी गजब होस्टिंग और साड़ियों से खूब चर्चा बटोरी। पढ़ें: हर तरक के स्टीरियोटाइप को दी चुनौती! पर किसे पता था कि हर तरह के स्टीरियोटाइप को चुनौती देने वालीं मंदिरा बेदी को कभी ऐसा भी दिन देखना पड़ेगा, जब उन्हें पति को विदाई देने के लिए 'नारी का एक नया रूप' लेना पड़ेगा। मंदिरा बेदी और राज कौशल (Mandira Bedi Raj Kaushal wedding) की साल 1999 में शादी हुई थी। इसके बाद साल 2011 में उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया। 2020 में मंदिरा और राज कौशल ने एक बेटी को गोद लिया, जिसका नाम तारा बेदी रखा।


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