सोमी अली का चौंकाने वाला खुलासा- 14 साल की उम्र में हुआ था रेप, कुक और चौकीदार ने क‍िया मॉलेस्ट

पाकिस्तानी ऐक्ट्रेस ने 16 साल की उम्र में 90 के दशक में इंडिया आकर हंगामा मचा दिया, जब वह सुपरस्टार की हीरोइन ही नहीं बल्कि गर्लफ्रेंड भी बन बैठीं। कुछ साल चले उनके करियर और रिलेशनशिप में उन्होंने 10 फिल्में कीं, मगर फिर 1999 में सलमान खान से ब्रेकअप होने के बाद वह मयामी जा बसीं। कुछ अरसे से सोमी अली फिर चर्चा में हैं अपने एनजीओ 'नो मोर टीयर्स' से। इस एनजीओ के तहत वह इंडिया, पाकिस्तान और अमेरिका की सेक्शुअल, मेंटल और फिजिकल अब्यूज की शिकार हुई औरतों को आसरा देकर उन्हें रिहैब करवाती हैं। मियामी में रहनेवाली सोमी ने हाल ही में पंजाब की पीड़ित पूजा को रिहैब करवाया। सोमी खुद भी सेक्शुअल असॉल्ट और सर्वाइवर रही हैं। उनकी जिंदगी के हादसों ने ही आज उन्हें एक मजबूत औरत बनाया है। उनकी कहानी, उन्हीं की जुबानी। आज जब आप मुड़कर और अपने करियर को देखती हैं, तो कैसा महसूस होता है?ऐसा लगता है 100 साल पुरानी बात है (हंसते हुए) मैं अमेरिका 1999 दिसंबर में आई थी। यहां मेरा फिलहाल 21 वां साल चल रहा है। ऐसा लग रहा है कि वह कोई पिछला जन्म था। बहुत अच्छी जर्नी थी। भारत पूरी दुनिया में मेरी सबसे पसंदीदा जगह है, खासकर राजस्थान तो बड़ा खूबसूरत है। मुझे वहां का खाना, खास तौर पर मुंबई में शिव सागर की पाव-भाजी, इन सबकी बहुत याद आती है। आपने बहुत छोटी उम्र में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था? उस वक्त मैं बहुत छोटी और सीधी-सादी थी। अब मैं अपने मिड ऐज में हूं और उस वक्त मैं जानती नहीं थी फिल्म इंडस्ट्री के उसूल और तौर-तरीके क्या होते हैं? मैंने बहुत गलतियां कीं। जिन लोगों पर भरोसा नहीं करना चाहिए था, उन पर विश्वास किया। मैं उन्हें इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहरा सकती, क्योंकि मैंने भी बहुत भूल की हैं। मगर उनसे मैंने काफी कुछ सीखा। ऐसा नहीं है कि अब इस उम्र में मुझसे कोई भूल-चूक नहीं होती। हम इंसान होने के नाते रोज कुछ सीखते हैं, गिरते हैं और दोबारा उठ खड़े होते हैं। एक ऐक्ट्रेस होने के नाते आपने सबसे ज्यादा प्राउड कब महसूस किया?मेरा सबसे प्राउड मोमेंट तब था, जब मैंने दिवंगत ऐक्टर ओम पुरी जी के साथ काम किया। मैं उनकी बहुत बड़ी फैन थी। महान अभिनेता जीतू जी (जितेंद्र) के साथ मेरी आखरी फिल्म 'चुप' में मैं उनके साथ थी। मैंने अपने करियर में कुल 10 फिल्में की हैं। 'चुप' के बाद मैं चुप हो गई और वापस चली गई फ्लोरिडा (हंसते हुए) मगर मैं ओम जी के साथ काम करके बहुत खुश थी। चूंकि मुझे डॉक्यूमेंटरी और आर्ट किस्म की फिल्में पसंद थीं और वे उस तरह की कई फिल्में कर चुके थे। एक औरत होने के नाते आपने सबसे ज्यादा हीनता कब महसूस की? जब मैंने अपने साथ हुए फिजिकल अब्यूज के बारे में बोलना शुरू किया, तो मुझे बहुत ज्यादा ह्युमिलिएशन का शिकार होना पड़ा। हमारे समाज की दिक्कत यही है, हालांकि हम 2021 में आ पहुंचे हैं, तब भी पीड़ित को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है। यह पहलू मुझे बड़ा तंग करता है। मैंने आवाज उठाई, 3 साल पहले मैंने बोलना शुरू किया,क्योंकि मैं भी एक सर्वाइवर हूं। जब मैं अपनी सच्चाई बाहर लाई, तो मेरी ऑनलाइन बहुत निगेटिव ट्रोलिंग हुई। कई अटैक्स भी हुए। आम तौर पर मैंने देखा है कि जो औरतें और लड़कियां हैं, जब वह अपनी सच्ची घटनाओं के बारे में बयान करती हैं, तो उन्हें निगेटिव रिस्पॉन्स मिलता है और उन्हें री विक्टिमाइज किया जाता है। मैं न सिर्फ अपने लिए बल्कि दूसरों के लिए भी आवाज उठा रही हूं, मगर लोगों को यह बात पसंद नहीं आती। वे तो बस पीड़ित को ही दोषी ठहराते हैं। आप किस तरह से सर्वाइवर रहीं? किस तरह के हादसों से गुजरीं? पाकिस्तान में जब मैं 5 साल की थी, तो मेरे कुक ने मुझे 3 बार सेक्शुअली अब्यूज किया। जब मैं 9 साल की थी तो चौकीदार ने भी मुझे मॉलेस्ट किया। हम अमेरिका में रह रहे थे और जब मैं 14 साल की थी, तो एक पार्क में 17 साल के लड़के ने मेरा रेप किया। मैं 16 से 24 साल के बीच भारत में थी, उस समय मेरे साथ डॉमेस्टिक वायलेंस की कई घटनाएं साथ घटीं। इन्हीं हादसों के कारण मैंने नो मोर टीयर्स को जन्म दिया। मेरा ध्यान एक ही चीज पर है कि मैं हर रोज सुबह अपने बिस्तर से उठकर किसी की जिंदगी बचाऊं। इससे बेहतर जीने का और क्या मकसद हो सकता है। एक सशक्त महिला के तौर पर आपका रूपांतरण कब हुआ? वह फैसला मैंने दिसंबर 1999 में किया। अपने ब्रेक-अप के बाद, जब मैं मियामी आई, तो मेरा जो आत्मविश्वास और आत्म सम्मान पूरी तरह से चकनाचूर हो चुका था। बचपन से लेकर 24 साल की उम्र तक मैं टूट चुकी थी। मेरे छोटे भाई ने मुझे प्रेरित किया और कहा कि तुम दोबारा अपनी पढ़ाई करो, जो तुमने बीच में छोड़ दी थी। उसने मेरी असुरक्षा को खत्म करने के लिए मेरी बहुत मदद की। मेरे भाई के अलावा मेरे जो कॉलेज में प्रफेसर्स थे, उन्होंने मुझ में बहुत आत्मविश्वास जगाया। मैं यह जरूर कहना चाहूंगी कि कॉलेज में मैंने जो वक्त बिताया, वह मेरी जिंदगी के सबसे अच्छे और खुशमिजाज दिन थे, उस दौर में मैंने खुद को पूरी तरह से पढ़ाई में डुबा दिया, तब जाकर कहीं मैं एम्पावर और मजबूत औरत के रूप में उजागर हुई और मैं एक आत्मनिर्भर औरत बन गई। ऐसा कोई घटना जब आप बहुत ज्यादा जज्बाती हो उठी हों? आपको हर बार याद दिलाया जाता है कि आप कभी कामयाब नहीं होंगे या कभी कुछ हासिल नहीं कर पाओगे। इससे भी बढ़कर जब आप वाकई अब्यूज से गुजरते हैं, तो उसी बात पर यकीन करना शुरू कर देते हैं। मेरे लिए नो मोर टीयर्स में ऐसे बहुत सारे इंसिडेंट्स हैं, जब मैं बहुत जज्बाती हो गई थी, लेकिन एक सबसे बड़ी कामयाबी मेरे लिए तब थी, जब फातिमा नाम की एक पाकिस्तानी औरत ने अपनी बच्ची को जन्म दिया, तो उसने उसका नाम सोमी रखा। वह मौका मेरे लिए सबसे खुशी वाला था कि किसी ने अपनी औलाद का नाम मेरे नाम पर रखा।


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