कार्तिक आर्यन ने 'दोस्‍ताना 2' विवाद पर तोड़ी चुप्‍पी, कहा- कभी-कभी गिरना भी जरूरी होता है

बॉलिवुड ऐक्‍टर () अपने करियर के उस पड़ाव पर हैं, जहां अब अब अलग हटके किरदारों को प्रायरिटी देने लगे हैं। इसी कड़ी में वह अपनी नई फिल्म 'धमाका' (Dhamaka) में पहली बार 'क्यूट लवर बॉय' वाली इमेज से अलग ग्रे किरदार में नजर आने वाले हैं। 'नवभारत टाइम्‍स' से खास बातचीत में कार्तिक ने 'धमाका' पर तो बात की ही, फिल्‍म 'दोस्ताना 2' (Dostana 2 Controversy) के हाथ से निकलने और उससे बाद सामने आए विवाद पर भी चुप्‍पी तोड़ी, पढ़े खास बातचीत: एक तरफ 'भूल भुलैया 2', 'शहजादा' जैसी कमर्शल फिल्‍में, तो दूसरी तरफ 'धमाका', 'फ्रेडी' और 'कैप्टन इंडिया' जैसी अलग तरह की फिल्में, आपके फिल्मों के चुनाव में अब काफी विविधता दिख रही है। इसके पीछे क्या सोच है? ये एक सोचा समझा फैसला है। मैं जैसी फिल्में करना चाहता हूं, वह मेरी चॉइसेस में अब दिखना शुरू हो गया है। ऐसा नहीं है कि पहले मैं ऐसा काम नहीं करना चाहता था, पर तब मेरे पास विकल्प कम होते थे। अभी मैं जिंदगी में उस हालात में हूं, जहां मुझ पर ये भरोसा आया है और मुझे वे मौके मिल रहे हैं। एक ऐक्टर के तौर पर मैं ऐसा काम करना चाहता हूं कि लगे कि यार, आज मैंने कुछ अलग किया, जिसमें मजा आया, तो यह सोच आई है। उसी वजह से मेरी चॉइसेज में ये अंतर दिख रहा है। मैं अभी हर वक्त काम के बारे में ही सोचता हूं। कैप्टन इंडिया हो या शहजादा, मैं बस लोगों को एंटरटेन करना चाहता हूं। फिर, वह थ्रिलर के रूप में हो या ड्रामा हो, मुझे बस लोगों को एंटरटेन करना है। अब तक दर्शकों ने आपको अच्छे, प्यारे, लवर बॉय वाले रोल में ही देखा है। 'धमाका' में आप पहली बार थोड़ा ग्रे किरदार निभा रहे हैं, तो कहीं थोड़ा डर था कि फैंस इसे कैसे लेंगे? और इस किरदार से आपने कितना रिलेट किया? लॉकडाउन ने मुझे निडर बना दिया, रिस्क टेकर (खतरे लेने वाला) बना दिया, तो मैंने अर्जुन पाठक की रिस्क लेने की क्षमता से थोड़ा रिलेट किया। बेशक उसकी नैतिकता से नहीं, लेकिन मैं ये समझ पा रहा था कि एक इंसान ऐसा कर सकता है, तो जब ये चीजें दिमाग में आने लगती हैं, तब रोमांच भी बढ़ता है कि करैक्टर ये सब चीजें कर रहा है और कैसे कर रहा है, तो ऐसा कोई डर नहीं था, क्योंकि लॉकडाउन ने निडर होना सिखा दिया। लॉकडाउन ने किस तरह आपको निडर बनाया, थोड़ा समझाएं? मैंने खुद के बारे में बहुत ज्‍यादा सोचा, अपनी जिंदगी के सफर के बारे में विचार किया। ये सोचा कि जिंदगी के इस पड़ाव पर क्या इंपॉर्टेंट हैं, एक ऐक्टर, एक इंसान, एक क्रिएटिव पर्सन के तौर पर, तो मुझे लगा कि मुझे अच्छा काम करते जाना है। ऐसा नहीं है कि पहले मैं बुरा काम कर रहा था, लेकिन अब ये बहुत साफ हो चुका है कि मैं कैसी फिल्में करना चाहता हूं और धमाका उन फिल्मों में से है, जैसी फिल्में मैं खुद देखता हूं और चाहता हूं कि वैसी फिल्में यहां पर और बने, वैसे किरदार और देखने को मिले, क्योंकि ये किरदार जितना भी ग्रे हो, लेकिन उससे जुड़ाव फिर भी बना रहता है। मेरे करियर में ये एक बहुत बड़ा पहलू ये रहा है कि मेरे किरदारों से लोग रिलेट कर सके। अर्जुन पाठक भी ऐसा ही है कि वह आपको आकर्षित करता है। पिछले दिनों 'दोस्ताना 2' विवाद के दौरान आपके करियर में एक उतार-चढ़ाव भी देखने को मिला। आपने उस बारे में कुछ कहा नहीं, पर उस वक्त को कैसे हैंडल किया? मैं हमेशा अपने फैंस के प्यार की तरफ जाता हूं। मेरे लिए ऑडियंस का प्यार ज्यादा अहम है। कई बार ये जो चीजें होती हैं, वह बहुत बढ़ा-चढ़ाकर होती हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि लोग मेरे काम पर ध्यान देते रहें। मैं कभी अपने काम के अलावा किसी चीज के बारे में बात नहीं करता हूं और मैं उम्मीद करता हूं कि वह चलता रहे। लाइफ में उतार चढ़ाव जरूरी होता है। वह कहते हैं न कि आप कभी भी उस लेवल पर संतुष्ट या खुश नहीं हो सकते, अगर आप कभी गिरते नहीं हैं, तो मुझे लगता है कि वह भी जरूरी होता है। आज आपकी फिल्में चल रही हैं, आपका सक्सेसफुल टाइम चल रहा है, पर वह टैंपरेरी है, क्योंकि कल आपको दोबारा से वही रिपीट करना है, तो हम सिर्फ उम्मीद कर सकते हैं कि हमारे हर ऐक्ट सक्सेसफुल हों। 'धमाका' में आप एक टीवी एंकर का रोल कर रहे हैं, तो मीडिया, जर्नलिज्म को लेकर कितनी समझ बढ़ी? और इस किरदार के लिए क्या तैयारी करनी पड़ी? ये फिल्म जर्नलिज्म के बारे में नहीं है। ये किसी भी इंडस्ट्री से हो सकती थी। यह एक महत्वाकांक्षी इंसान की कहानी है। उसकी नैतिकता किस ओर है, पॉजिटिव साइड है या नेगेटिव साइड ज्यादा है। उसकी जिंदगी में क्या विकल्प आ रहे हैं, क्या हालात है और उसके हिसाब से वो क्या फैसले लेता है, उस बारे में है। फिल्म में मेरा किरदार अर्जुन पाठक रेडियो जॉकी भी होता है और फिर दोबारा एंकर बनता है, तो मेरी बहुत सारे रिपोर्टर से बातें हुईं, जूम कॉल पर, क्योंकि कोविड महामारी का टाइम था कि वे लाइव जाने से पहले क्या सोच रहे होते हैं या रेडियो जॉकी स्टूडियो में क्या-क्या कर सकते हैं, इस तरह की चीजें। इसके अलावा, चूंकि पहली बार मैं ऐसा किरदार निभा रहा था, जो इतना प्यारा और मासूम नहीं है, ग्रे किरदार है, तो उसे निभाने के लिए काफी चीजें चाहिए थी, उस पर काम किया। फिर, लॉकडाउन में ही मैंने एक शो शुरू किया था कोकी पूछेगा, जिसमें मैं इंटरव्यू करता था, उसके अनुभव से भी मदद मिली।


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