इंटरनैशल डांस डे: कब शुरू, क्या महत्व जानें सब

29 अप्रैल को हर साल के रूप में मनाया जाता है। पर, इसकी शुरुआत कब हुई? क्यों हुई? किसके नाम से हुई? निश्चित रूप से यह विचार आप सभी के दिमाग में आते होंगे। आज हम इस खास मौके पर इस बारे में आपको यह सभी जानकारी देंगे। सबसे पहले आपको यह बता दें कि कि 1982 में पहली बार इस डे को इस रूप में मनाने का फैसला किया गया। दरअसल, फ्रैंच डांसर को 19वीं सेंचुरी में डांस की कई विधाओं का जनक माना गया। महान नर्तक नावेरे की ही यह सोच थी कि नृत्य को स्कूली स्तर से ही शिक्षा में शामिल किया जाए। अगर वास्तविक रूप में कहें तो डांस खासकर बैले डांस को दुनियाभर में फैलाने वाले नावेरे ही थे। बैले डांस में मास्टर थे नावेरे बैले डांस के अलावा नावेरे ने कई सारी डांस विधाओं को अलग-अलग देशों में खुद प्रदर्शित किया। वह जब डांस करते थे तो सबकी निगाहें सिर्फ और सिर्फ उन्हीं पर होती थीं। बाद के दिनों में Jean Georges Noverre ने डांस की कई विधाओं के बारे में लिखा भी। इसका फायदा बाद में कई देशों को मिला। 1982 से हर साल आयोजन यही वजह है कि बाद में डांस को खासकर नावेरे को श्रद्धांजलि देते हुए यूनेस्को की इंटरनैशल थिअटर इंस्टिट्यूट की डांस कमिटी ने 29 अप्रैल को इंटरनैशनल डांस डे के रूप में मनाने का निर्णय लिया। उसके बाद से हर साल 1982 से यह डांस उत्सव किया जाता है। भारत की तरफ से भी प्रतिनिधित्व इस दिन किसी बड़े इंटरनैशनल डांसर के जरिए इसकी शुरुआत होती है। बाद में कई तरह की प्रतियोगिताएं होती हैं। अलग-अलग देशों से इसके लिए मशहूर डांसर भी चुने जाते हैं। 1986 में एक बार भारत की तरफ से भी चेतन जलान प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।


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