तब प्रड्यूसर बोलते थे, फिल्म करनी है तो टीवी छोड़ो: अमर उपाध्याय

कोई भी कलाकार यूं ही बड़ा नहीं बनता। अपने करियर में कभी उसे समझौते करने पड़ते हैं, तो कभी कुर्बानियां देनी पड़ती है। ऐक्टर अमर उपाध्याय ने भी अपने 28 साल लंबे करियर में हर उतार-चढ़ाव देखे। कभी फिल्मों के लिए उन्हें अपना बेहद हिट टीवी शो 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' छोड़ना पड़ा था, लेकिन अब वह एक तरफ छोटे पर्दे पर शो 'मोलक्की' कर रहे हैं, तो जल्द ही 'भूल भुलैया 2' में भी नजर आएंगे। पढ़िए, उनसे यह बेहद खास बातचीत: पहले कोविड, फिर पैर की सर्जरी, पिछला कुछ समय सेहत के नजरिए से आपके लिए थोड़ा मुश्किल रहा। हालांकि, सर्जरी के बावजूद आपने 'मोलक्की' के शूट पर ज्यादा असर नहीं पड़ने दिया। कैसे मैनेज किया, ऐसे हाल में शूट करना? यही जिंदगी है, इसमें ये चीजें चलती रहती हैं। मैं इनसे ज्यादा परेशान नहीं होता। फिर, जब आप टीवी शो करते हैं, तो एक कमिटमेंट होता है। कहानी आपके इर्द गिर्द घूमती रहती है, तो अगर आप बीमार पड़ जाएं, तो जबरन ट्रैक बदलना पड़ता है, जिससे शो पर असर पड़ता है। इसलिए, मेरी सोच यह थी कि मैं जितनी जल्दी काम शुरू कर सकूं, उतना ठीक है, तो मैंने सिर्फ चार दिन आराम किया, जिसमें तीन दिन अस्पताल में था। डिस्चार्ज होने के दूसरे दिन मैं शूट कर रहा था। जबकि, डॉक्टर ने कहा था कि आप 25 दिन कोई शूटिंग नहीं करेंगे, पर थोड़ा टीम ने अडजस्ट किया, थोड़ा मैंने किया और क्लोज अप शॉट, सोलो शूट करके मैनेज कर लिया, जिससे कहानी के फ्लो में बाधा नहीं आई। कलाकारों के लिए शायद इसीलिए कहा गया है कि 'द शो मस्ट गो ऑन'। क्या अपने करियर में आप पहले भी कभी इस परिस्थिति से गुजरे हैं? बिल्कुल, जब मैं 2015 में 'साथ निभाना साथिया' की शूटिंग कर रहा था, तब पहले ही दिन मेरा दायां पैर टूट गया था। तब भी लिगामेंट टूटा था। तब भी मैं एक हफ्ता ही घर पर बैठा था, जबकि डॉक्टर ने एक महीने बैठने को कहा था। तब मैं एक क्रच लेकर शूट पर चला गया था। फिर, जब मेरी मम्मी गुजरी थीं, तब मैं अपनी फिल्म 'वाह वाह राम जी' शूट कर रहा था। मम्मी का जाना मैं बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। मैं पागल हो गया था। मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था। फिर भी, मैंने मम्मी का अंतिम संस्कार करने के चौथे दिन के बाद ही शूटिंग शुरू कर दी थी, क्योंकि प्रड्यूसर का नुकसान हो रहा था, तो जिंदगी में ये चीजें चलती ही रहती है। काम करते रहना पड़ता है, क्योंकि उससे ज्यादा बड़ी चीज कुछ नहीं है। आपने एक इंटरव्यू में कहा था कि 'मोलक्की' में आपका किरदार वीरेंद्र प्रताप सिंह देखने के बाद लोग मिहिर वीरानी को भूल जाएंगे। क्या ऐसा हुआ है? ऐसा बहुत हद तक हो रहा है, क्योंकि वो पीढ़ी अलग थी। 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' को बीस साल हो चुके हैं, तो आज जेनरेशन बदल चुकी है। जो बीस साल पहले पैदा हुए बच्चे हैं, उन्होंने 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' नहीं देखा है। वो आज मुझे मुखिया के रूप में देखते-पहचानते हैं, तो ये हमारी एक नई ऑडियंस है। फिर, जब उनके पैरंट्स बताते हैं कि ये मिहिर भी था। हम उसके लिए बहुत रोए थे। तुम्हारी मम्मी ने खाना नहीं बनाया था, तो उनको लगता है कि ऐसा क्या हो गया था, तो वो हॉटस्टार पर वह शो देखते हैं। मेरे पास 15-20 साल के लड़के मेसेज भेजकर बताते हैं कि हमारे पैरंट्स ने मिहिर के बारे में बताया तो हमने हॉटस्टार पर वह शो देखा, पर हमें वीरेंद्र प्रताप ज्यादा पसंद है। जबकि, उनके मां-बाप बोलते हैं कि आपका वीरेंद्र प्रताप भी मिहिर की तरह अच्छा है, ताे अब ये दो पीढ़ी के दर्शक हो गए हैं। उस वक्त आपने फिल्मों के लिए 'क्योंकि सास भी कभी बहू थी' छोड़ दिया था, लेकिन आज आप 'मोलक्की' के साथ-साथ 'भूल भुलैया 2' भी कर ले रहे हैं। यह बदलाव कैसे आया? क्या अब आपको दोनों के बीच तालमेल बिठाना आ गया है? बदलाव असल में वक्त का है। वह दौर अलग था। आज का दौर अलग है। तब टीवी वाले फिल्मों में ज्यादा एक्सेप्ट नहीं किए जाते थे। एक शाहरुख खान हुए थे बस। उसके अलावा माधवन हुए थे, वो भी साउथ में। उस दौर में यह था कि फिल्म वाले टीवी पर नहीं काम कर सकते, टीवी वाले फिल्म में नहीं आ सकते। तब मेरे फिल्म के प्रड्यूसर कहते थे कि आप टीवी छोड़ दो। मुझ पर प्रड्यूसर का बहुत ज्यादा प्रेशर था कि आपको टीवी छोड़ना पड़ेगा। अब मैंने फिल्में साइन कर ली थीं। पैसे ले लिए थे। इधर टीवी के साथ भी मेरा कमिटमेंट था, तो मैं इतना उलझ गया था कि समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूं। मैं फिल्मी बैकग्राउंड से नहीं हूं, तो मुझे अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग सलाह दी, जिससे मैं खुद कंफ्यूज हो गया। फिर उस वक्त जो सही लगा, मैंने किया। जो होना था वो हुआ और मैं किसी चीज पर अफसोस नहीं करता हूं। हर चीज मेरे लिए सीख है, मैं उससे सबक लेता हूं और सीखता हूं कि दोबारा ऐसी सिचुएशन कभी आई तो उसे कैसे हैंडल करना है। क्या गलती नहीं करनी है। वहीं, आज फिल्म, टीवी, ओटीटी सब एक हो गया है। सलमान, अमिताभ, अक्षय जैसे बड़े स्टार टीवी शो होस्ट करते हैं। उन्होंने ही बताया कि यह छोटा पर्दा असल में छोटा नहीं है, पर 2003 में ऐसा नहीं था, अब ऐसा है। अब मैं 'मोलक्की' के साथ-साथ फिल्में भी कर रहा हूं। ओटीटी पर एक पुलिसवाले और एक आतंकवादी की सच्ची घटना पर आधारित शो भी प्रड्यूस करने वाला हूं, तो अब सब एक हो गया है। 'भूल भुलैया 2' में आप तबू के ऑपजिट काम कर रहे हैं। उनके साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा? अपने किरदार के बारे में भी थोड़ा बताएं? बहुत मजा आया। तबू का बहुत ही पॉजिटिव ऑरा है। वह बहुत ही सुलझी हुई हैं। शांत स्वभाव से बात करती हैं, जबकि इतनी बड़ी कलाकार हैं। डायरेक्टर अनीज बज्मी भी सेट पर बहुत ही पॉजिटिव माहौल बनाए रखते हैं। कार्तिक आर्यन का बर्ताव भी बहुत ही दोस्ताना है। वह हंसते-हंसाते रहते हैं। कियारा भी बहुत ही जिंदादिल लड़की हैं, तो सेट पर माहौल बहुत ही मजेदार था। जब माहौल पॉजिटिव होता है, तो काम का मजा भी अलग होता है। मेरा फिल्म में एक कुंवर का रोल है। इसके बारे में मैं ज्यादा नहीं बता सकता। आप इतने साल से इंडस्ट्री का हिस्सा हैं। पिछले डेढ़ साल में इंडस्ट्री पर ड्रग वगैरह को लेकर जो आरोप लगे हैं, उसे कैसे देखते हैं? आपको लगता है कि इससे इंडस्ट्री की छवि खराब हुई है? मेरे हिसाब से ये चीजें और भी जगहों पर हो रही होंगी। इसलिए, सिर्फ फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम करना और सिर्फ फिल्म और टीवी वालों पर इल्जाम लगाना गलत बात होगी। हालांकि, मुझे ज्यादा पता नहीं है कि कौन कितने पानी में है? इसमें कितनी सचाई है?, किस माहौल में क्या हुआ, तो मेरा इस पर कॉमेंट करना सही नहीं होगा।


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