कहानी उस ड्राइवर की, जिसे रजनीकांत ने समर्पित किया अपना दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड

साउथ के सुपरस्टार और 'थलाइवा' रजनीकांत () को हाल ही हुए 67वें नैशनल फिल्म अवॉर्ड्स () में दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड (Dadasaheb Phalke Award) से सम्मानित किया गया। रजनीकांत ने अपने इस अवॉर्ड को जिगरी दोस्त और सुख-दुख के साथी रहे राज बहादुर को समर्पित किया। इस दौरान रजनीकांत ने दोस्त को याद करते हुए ऐसी दिल छू लेने वाली बातें कहीं कि पूरा माहौल तालियों से गड़गड़ा उठा। रजनीकांत ने बताया कि राज बहादुर () ने ही सबसे पहले उनके ऐक्टिंग टैलंट को पहचाना था और उन्हें फिल्मों में जाने के लिए प्रोत्साहित किया था। यह बात तब की है, रजनीकांत फिल्मों में भी नहीं आए थे। उस वक्त रजनीकांत एक बस कंडक्टर के तौर पर काम करते थे। बस कंडक्टर थे रजनीकांत रजनीकांत के दोस्त राज बहादुर कर्नाटक में एक बस ड्राइवर हैं। रजनीकांत जब बस कंडक्टर थे, तो उन्होंने दूर-दूर तक भी ऐक्टर बनने के बारे में नहीं सोचा था। लेकिन दोस्त राज बहादुर की पारखी नजर का ही कमाल था कि उन्होंने रजनीकांत को फिल्मों में जाने का हौसला दिया। रजनीकांत अपने दोस्त के कारण फिल्मों में आ गए और बड़े स्टार बन गए। स्टार बने पर दोस्ती नहीं भूले लेकिन इतने बड़े स्टार बनने के बाद भी रजनीकांत अपने बस ड्राइवर दोस्त को भूले नहीं हैं। उनकी दोस्ती करीब 50 साल पुरानी है। वह राज बहादुर ही हैं, जिन्होंने शिवाजी राव गायकवाड़ को 'रजनीकांत' बनाया और तमिल भाषा में बोलना सिखाया। 50 साल पुरानी रजनीकांत-राज बहादुर की दोस्ती 'न्यूज 18' को दिए इंटरव्यू में राज बहादुर ने रजनीकांत संग अपनी दोस्ती का अनूठा किस्सा सुनाया। उन्होंने कहा, 'हमारी दोस्ती 50 साल पुरानी है। मैं रजनीकांत से 1970 में मिला था। उस वक्त उन्होंने बस कंडक्टर के रूप में ड्यूटी जॉइन की थी और मैं एक ड्राइवर था। हमारे पूरे ट्रांसपोर्ट स्टाफ में रजनीकांत बेस्ट ऐक्टर थे। जब भी डिपार्टमेंट में कोई कल्चरल प्रोग्राम होता था तो रजनी स्टेज पर परफॉर्म करते थे।' रजनी को ऐक्टिंग स्कूल भेजा, तमिल बोलना सिखाया राज बहादुर ने आगे बताया, 'तब मैंने रजनी को चेन्नै जाकर ऐक्टिंग स्कूल जॉइन करने के लिए फोर्स किया। 2 साल के ऐक्टिंग कोर्स के बाद इंस्टिट्यूट ने एक फंक्शन रखा, जिसमें रजनीकांत ने परफॉर्म किया था। मशहूर फिल्ममेकर के बालाचंदर तब वहां चीफ गेस्ट थे। रजनी की परफॉर्मेंस देखकर वह उनके पास आए और कहा, 'लड़के तमिल सीख लो।' तब रजनी मेरे पास आए और मुझे सारी बात बताई। के बालाचंदर ने रजनीकांत से उस वक्त कुछ और नहीं कहा था। सिर्फ तमिल सीखने के बारे में कहा था। उस दिन मैंने रजनी से कहा कि वह चिंता न करें। मैंने कहा कि अब से रोज मुझसे तमिल में ही बात करना। उसके बाद जो हुआ सब जानते हैं।' रजनीकांत को अपनी आधी पगार भेजते थे राज बहादुर बहुत ही कम लोग यह बात जानते होंगे कि राज बहादुर ने जब रजनीकांत को ऐक्टिंग स्कूल में दाखिला लेने के लिए चेन्नै भेजा था तो साथ में अपनी आधी पगार यानी 200 रुपये भी दिए थे। उस वक्त राज बहादुर की मंथली पगार सिर्फ 400 रुपये थी। राज बहादुर उसमें से हर महीने 200 रुपये रजनीकांत को भेज देते थे ताकि वह अपना खर्च चला सकें। रजनीकांत ने कई मौकों पर इसका जिक्र भी किया था। राज बहादुर और रजनीकांत की दोस्ती ऐसी है कि वह जब मन करता है वक्त निकालकर दोस्त से मिलने पहुंच जाते हैं। राज बहादुर ने अपने घर में रजनीकांत के लिए एक कमरा भी खास तौर पर रिजर्व रखा है। 1975 में रजनीकांत की शुरुआत रजनीकांत ने साल 1975 में अपने ऐक्टिंग करियर की शुरुआत की थी। उनकी पहली फिल्म एक तमिल फिल्म थी, जिसका नाम Apoorva Raagangal था। इसके बाद रजनीकांत ने तमिल, तेलुगु, हिंदी और अन्य भाषाओं की ढेरों फिल्में कीं। साल 2000 में रजनीकांत को पद्म भूषण और 2016 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।


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